मराठी विवाद में राज ठाकरे पर भड़के 26/11 के नायक: ‘MNS के तथाकथित योद्धा आतंकी हमले में दुम दबाकर भागे’

मुंबई, 6 जुलाई 2025: महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी भाषा विवाद ने तूल पकड़ लिया है, और इस बीच 26/11 मुंबई आतंकी हमले के नायक, पूर्व मरीन कमांडो प्रवीण कुमार तेवतिया ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे पर तीखा हमला बोला है। तेवतिया ने MNS कार्यकर्ताओं की हिंसक हरकतों और भाषा के नाम पर राजनीति करने की कड़ी निंदा की, साथ ही सवाल उठाया कि 2008 के आतंकी हमले के दौरान राज ठाकरे और उनके “तथाकथित योद्धा” कहां थे।

MNS की गुंडागर्दी: दुकानदारों पर हमले

महाराष्ट्र में हाल के दिनों में MNS कार्यकर्ताओं द्वारा गैर-मराठी भाषी लोगों, खासकर यूपी-बिहार के प्रवासियों, के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। ठाणे के मीरा-भायंदर इलाके में एक दुकानदार को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था। वायरल वीडियो में MNS कार्यकर्ता दुकानदार को घेरकर मराठी बोलने की मांग करते दिखे। इस घटना में सात MNS कार्यकर्ताओं, जिनमें तीन पदाधिकारी शामिल हैं, के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, हालांकि उन्हें जल्द ही जमानत मिल गई।

इसी तरह, मुंबई के वर्ली में बिजनेसमैन सुशील केडिया के कार्यालय पर MNS कार्यकर्ताओं ने पथराव किया, क्योंकि उन्होंने X पर लिखा था, “मैं मराठी नहीं सीखूंगा, जो करना है कर लो।” इस घटना के बाद केडिया ने माफी मांगी, लेकिन यह विवाद MNS की आक्रामक नीतियों को उजागर करता है।

प्रवीण तेवतिया का तीखा हमला: ‘आतंकी हमले में कहां थे MNS के योद्धा?’

पूर्व मरीन कमांडो प्रवीण कुमार तेवतिया, जिन्होंने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में ताज होटल में आतंकियों के खिलाफ मोर्चा संभाला था, ने राज ठाकरे और MNS पर करारा प्रहार किया। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में तेवतिया ने कहा, “2008 में भी राज ठाकरे ने ऐसी ही नौटंकी की थी। MNS के तथाकथित सैनिकों ने यूपी-बिहार के लोगों को पीटा। लेकिन जब 26/11 का आतंकी हमला हुआ, तो ये सारे योद्धा दुम दबाकर छिप गए। न राज ठाकरे दिखे, न उद्धव ठाकरे।”

तेवतिया ने आगे कहा, “आतंकी हमले में लोगों की जान बचाने वाले ज्यादातर फौजी यूपी और बिहार से थे। मैं खुद यूपी के चौधरी चरण सिंह के गांव से हूं। मैंने ताज होटल में फ्रंटलाइन वॉरियर के तौर पर आतंकियों का सामना किया।” उन्होंने राज ठाकरे से सवाल किया, “आपके तथाकथित योद्धा उस वक्त कहां थे? देश को बांटने की कोशिश मत करो।”

‘भाषा का राजनीतिकरण बंद करो, विकास पर बात करो’

तेवतिया ने MNS और राज ठाकरे पर विकास कार्यों और रोजगार सृजन में विफलता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हमें मराठी पर गर्व है, लेकिन इसका राजनीतिकरण गलत है। अगर आपको राजनीति करनी है, तो नौकरियों और विकास कार्यों पर ध्यान दो। MNS ने आज तक कितने विकास कार्य किए? कितनी नौकरियां दीं? यह बताएं।” तेवतिया ने जोर देकर कहा कि भाषा को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए, क्योंकि “प्यार और एकता के लिए किसी भाषा की जरूरत नहीं होती।”

उन्होंने X पर भी एक पोस्ट साझा की, जिसमें लिखा, “मैंने 26/11 में मुंबई को बचाया। मैं यूपी से हूं और महाराष्ट्र के लिए खून बहाया। राज ठाकरे के तथाकथित योद्धा कहां थे?” यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसने इस विवाद को और हवा दी।

राज ठाकरे का जवाब: ‘मराठी जरूरी, लेकिन हिंसा नहीं’

मराठी भाषा विवाद को लेकर राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मराठी बोलना आना चाहिए, लेकिन मराठी न बोलने की वजह से किसी को पीटने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को सलाह दी, “अगर कोई ड्रामा करे, तो उसके कान के नीचे मारो, लेकिन वीडियो मत बनाओ। जिसे मारा गया, वही बताए।”

राज ठाकरे ने यह भी कहा कि मराठी गौरव का अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा से कोई विरोधाभास नहीं है। उन्होंने अपने पिता श्रीकांत ठाकरे और चाचा बालासाहेब ठाकरे का उदाहरण देते हुए कहा, “वे अंग्रेजी माध्यम में पढ़े, लेकिन क्या कोई उनके मराठी प्रेम पर सवाल उठा सकता है?”

ठाकरे बंधुओं का एक मंच पर आना

20 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मुंबई के वर्ली में एक संयुक्त रैली में मंच साझा किया, जिसका मकसद महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले को वापस लेने का जश्न मनाना था। इस रैली में राज ठाकरे ने मराठा साम्राज्य का हवाला देते हुए कहा, “मराठा साम्राज्य 125 राज्यों तक फैला था, क्या तब मराठी थोपी गई थी?”

हालांकि, इस रैली से कांग्रेस और शरद पवार की NCP ने दूरी बनाए रखी, क्योंकि वे गैर-मराठी वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहते।

सियासी और सामाजिक प्रभाव

महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने सामाजिक तनाव को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि MNS की आक्रामक रणनीति और हिंसक घटनाएं आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों को प्रभावित कर सकती हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया, “मराठी पर गर्व करना गलत नहीं, लेकिन भाषा के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

वहीं, तेवतिया जैसे लोगों की प्रतिक्रिया ने इस बहस को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया है। उनकी टिप्पणी ने न केवल MNS की नीतियों पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी रेखांकित किया कि राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति किसी भाषा की मोहताज नहीं है। यह विवाद एक बार फिर भाषा, क्षेत्रवाद और राजनीति के गठजोड़ को उजागर करता है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

रिपोर्ट : सुरेंद्र कुमार

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